उसको डर है कही आग न हो जाए कल




उसको डर है कही आग न हो जाए कल
कुर्सी जले फिर राख न हो जाए कल

चिड़िया जो चुचु करे ट्वीट बस कर पाती थी
चोच पंजो हक दबोचे बाज न हो जाए कल

लाठी चली बरसात की इंसाफ की जब बात की
आज जो उंगली उठी हाथ न हो जाए कल

सत्ता डरी न भीड़ से न नारे लगाती रीढ़ से
पक्ष था विपक्ष था उसकी खुद की जमात थी
आम जनता थी नहीं ये आम सी ही बात थी
पुलिस लाठी ले इशारे करे की चुप हो जाइए
मुखिया जब गूंगा रहे उसे जनता गूंगी चाहिए

अब हवा युवा हुई और थपेड़े देने लगे सैनी
छप्पर उड़े माटी करे तूफ़ान न हो जाए कल

: शशिप्रकाश सैनी

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