गधी भी न नसीब हमको




एक ये जो रोज घोड़ी चढ़े
एक हम की
गधी भी न नसीब हमको
वो गुड जैसे मक्खियां भिनभिनाती है
और हम सच जो बोल गए
कोई रखे भी ना करीब हमको

मलाल दिल का मलालो में मलाल रहा
कभी सुर्ख होठो पे
कभी आँखों पे हुए फ़िदा
पास जो गए थप्पड़ पड़ा
और चेहरा लाल रहा
मलाल दिल का मलालो में मलाल रहा

हम सीधे कहे
कोई बात बनाना न आए
उसको घोड़ी चलाना आए
हमको ना आए काम कोई
बस दिल लगाना आए

घोड़ी वालो का सवाल
न लगाम न काठ न डोर कोई
कैसे रखोगे काबू
ये चिड़िया नहीं कमजोर कोई

दिल की समझे दिल
इसमें क्या जोर अजमाने को
वो हो जाए हमारी हम उसके
ना रहे कुछ हक जताने को

: शशिप्रकाश सैनी  

Comments

  1. Hello Shashi ji,
    firstly, aapka intro kamaal ka hai, bas kuch comma bhi hote to padhne mei aur bhi maza aata...
    poetry aap aur bhi kamaal ki karte hai... simple t solid...
    awesome to read you...

    ReplyDelete
    Replies
    1. सराहना हेतु आभार पूजा जी
      About me जरुर सुधार करूँगा

      Delete
  2. bahut badhiya !!!
    Bahut kuch seekhne ko hai aapki poetry se mere liye !!!

    Happy Blogging !!!

    ReplyDelete

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