प्यार का रंग

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मेरा अकेलापन, मेरी खामोशी, मेरा यहाँ भी पीछा नहीं छोड़ती थी, जबकी इन ब्लागर मीटो में हँसी मजाक, गपशप, शोर शराबा सब कुछ था, शायद इसलिए की ये खामोशी मेरे अंदर थी, ऊपरी होती तो साथ छोड़ भी देती।

पर इस बार कुछ ऐसा होना था, जो पहले कभी नहीं हुआ, "मैं आपको जानती हूँ, आप अमित हैं! ‘अमित की डायरी’ आप का ही ब्लाग हैं ना"  इन शब्दों ने मुझे झकझोर, मुझे अकेलेपन की नींद से जगाया, मेरी खामोशी तोड़ी। पल्लवी नाम था उसका, कहती थी " You know you're my favorite poet, मैंने आपकी सारी कविताएँ पढी हैं,  आप कितना अच्छा लिखते हैं  "


तारीफ़ किसको अच्छी नहीं लगती, मुझे भी अच्छी लगती हैं, पर शब्दों पे मेरा ध्यान बिलकुल न था, अब चाहे आप इसे मेरी बेशर्मी कहें या कुछ और, दिमाग शब्द समझ पाता इस हालत में हम न थे, उस मोहिनी ने मुझे मंत्र मुग्ध कर रखा था। जब मुझे होश आया तब वो वहाँ न थी, न जाने मैंने उनसे क्या बात की, मुझे कुछ ख्याल ही नहीं । अब मुझे अपनी बेवकूफी पे बहुत गुस्सा आ रहा था, होश में रहते तो पल्लवी का नंबर ना सही कम से कम उनका पूरा नाम, ब्लाग address तो पुछ ही सकते थे। पर अब मेरे पास अफसोस करने के अलावा क्या बचा था, अफसोस करता मैं अपनी खामोशी में वापस लौटा, अपनी कविताएं समेटी और चुपचाप चल दिए घर की ओर, इस बात से अनजान की ये खामोशी, ये अकेलापन बस चंद दिनों के मेहमान थे।


उस दिन कुछ काम था कनाट प्लेस में मुझे, पल्लवी वहाँ मुझे शापिंग करती हुई दिखी, नीले रंग की पोशाक में, यूँ लगता था जैसे उन्होंने आसमान ही ओढ़ रखा हो, आज भी आंखे बंद करू तो पल्लवी का वही चित्र आँखों के समाने तैरने लगाता हैं । उस हफ्ते में, हमारे रास्ते चौथी बार टकराए थे, पर हाय हैलो से ज्यादा कुछ न हुआ कभी। शायद किस्मत कुछ कहना चाह रही थीं, शायद किस्मत लकीरों में मोहब्बत लिखने को उतावली हो रही थी और मेरी झिझक, मेरी बुजदिली उसे रोक रही थी। जिंदगी भर मुझे इस शायद का अफसोस न हो इसलिए मैंने हिम्मत जुटा के पल्लवी को काफ़ी के लिए पुछ ही लिया, उसने हामी भरी थी उस दिन, उस ‘हाँ’ के बदले अगर कोई मुझे दुनिया जहान की सारी शानोशौकत भी दे दे, तब भी मैं उसे वो ‘हाँ’ न दूँ ।


उस दिन जो बिता, मुझे सारे रंग याद हैं, आखिर भूलते भी कैसे पल्लवी मेरी जिंदगी में रंग ही तो ले कर आई थी, काफ़ीहाउस लाल रंग से सराबोर था, दीवारे लाल, पर्दे लाल, टेबल लाल, हाँ कुर्सियां और कप भूरे रंग के थे । हम दाएँ तरफ की दूसरी टेबल पे जा पहुचे, कितनी देर बैठे ! कितनी काफ़ी पी ! ये याद नहीं मुझे, हाँ पर बाते ढेर सारी की । 


वो कह रही थी “ वैसे दिन में तो मैं मशीन हूँ, सॉफ्टवयेर बनाती हूँ, पर रंग मेरी कमजोरी हैं, बचपन का साथ जो हैं, आज भी निभा रही हूँ । नीला रंग उठाती हूँ तो ये मालूम होता हैं आसमान हाथों में ले लिए हैं, भोर के सूरज से खेलने को दिल करता हैं तो लाल की ताल छेड देती हूँ, कुदरत की बांहे थामने को हरा मेरा सहारा है । आप जानते हैं ! आपकी कुछ कविताओं को विषय रख मैंने तस्वीरे उकेरी हैं, कभी दिखाऊंगी आपको । ”


उस दिन के बाद तो काफ़ीयों का सिलसिला ही चल पड़ा, बिना उनसे मिले दिल को चैन न पड़ता था, घंटो एक दूसरे को निहारते रहना, घंटो बाते करना । आज हमें मालूम पड़ता हैं, अगर दुनिया में काफ़ी न होती तो कितने दिल, मिल ही न पाते ।


दुनिया जहान की बाते बहोत हो गई, पर पल्लवी कैसी दिखती हैं, मैंने तो आपको बताया ही नहीं, लंबा कद, काले घने बाल कमर तक आते हुए, हवाओं से उसकी हमेशा अनबन रही, हवा लटो से खेलना चाहती थी और पल्लवी लटो को सहेजने में ही उलझी रही । हवा और मेरी फितरत एक सी हैं, हम दोनों ही पल्लवी की लटो से खेलना चाहते हैं, वो मुझे तो कुछ नहीं कहती पर उसकी हवाओं से अब भी नाराजगी बनी हुई हैं ।


नीली आंखे हाँ नीली आंखे हैं पल्लवी की, बाते बहोत करती हैं ये नीली आंखे और मुझे सुनना पसंद हैं । खुशी का इजहार हो या शरारत या कोई नाराजगी हो, हम सब कुछ इन आँखों में पढ़ लेते हैं, शब्द बहोत कम ही इस्तेमाल होते हैं हमारे दरमियाँ । आज भी घंटो इन्हें सुनते रहते हैं, आकर्षण जरा भी कम न हुआ अब तक ।कुछ नहीं पसंद करते हैं हम इन आँखों में, तो वो हैं आँसू चुप्पी ।

मुझे उसकी आँखों का बरसना पसंद नहीं, उसके होठों का मुरझाना पसंद नहीं, उदासी पल्लवी का चेहरा छुएं ये मुझे गवारा नहीं । उसे छूने और महसूस करने का हक सिर्फ मेरा और खुशी का हैं उदासी का नहीं, अब इसकी कीमत चाहें कितनी भी लगे ।


अरे, हम भी अजीब आदमी हैं पूरी ईमारत आपको दिखा दी, नींव के बारे में न कुछ बोला, न कुछ दिखाया । नींव, हाँ जनाब नींव ! हमारे रिश्ते की नींव, हमारे इजहार और उनके इकरार का वो कीमती लम्हा, उसका तो जिक्र ही नहीं हुआ ।

"जब से तुम मिली 
मेरी बेरंग जिंदगी में
रंग सारे उभर आए
तस्वीर के नीचे 
प्यार के रंगों से
लिख दो अपना नाम
ये तस्वीर तुम्हारी हो जाए"

आज भी अच्छी तरह याद हैं मुझे, कुछ इन्ही शब्दो में मैंने अपना दिल पल्लवी के सामने खोला था , उसी काफ़ीहाउस, उसी टेबल पे । "हाँ" और "ना" वैसे तो दो मामूली शब्द हैं, जिन्हें हम जिंदगी में न जाने कितनी ही बार इस्तेमाल करते हैं, आज हालात ने उन्हें जन्नत और जहन्नुम का रंग दे रखा था, यकीन मानिये उन दो पलों में हमारा दिमाग, न जाने कितनी ही कल्पनाएँ, न जाने कितने ही खेल खेल रहा था, कभी हाँ की उम्मीद से चेहरा खिल जाता, कभी ना की निराशा मायूसी ले आती ।

कुछ एक सदी बाद उसने जवाब दिया, हमारे लिए वो पल किसी सदी से कम न थे, जवाब मे पल्लवी ने हाँ बोला था। वो हाँ हम आज तक सहेज के रखे हुए हैं, तब से अब तक जिंदगी के न जाने कितने बसंत बीत गए, पर हमने अपनी प्यार की तस्वीर का बसंत बीतने न दिया, कभी धुल जमने न दी, आज भी रिश्तो मे गर्माहट, उस पहली काफी सी ही हैं।


( काश की जैसे आज इस कहानी में मैंने प्यार लिखा हैं, वैसे ही मैं अपनी जिंदगी में भी प्यार लिख पाता)


: शशिप्रकाश सैनी

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Comments

  1. Bhai kahani me bhi kavita chhupi hai or bhav bahut ache se ubhar ke aaye hain.. :)

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    1. धन्यवाद अर्पित भाई
      आप सबका स्नेह ऐसे ही मिलता रहे और क्या चाहिए

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  2. absolutely heartwarming ...a little sad, yet profound, Absorbing read, Shashi, All the best...rang o ka aana-jaana ek kahani ko itna vivid banata hai, yeh mainey sikha. Lovely!

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  3. is tasveer par mein aapse ek kavita ki ummeed kar raha tha,paruntu yeh lekh bhi achcha likha hai aapne

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    1. धन्यवाद सिफर
      वैसे मैंने पहले कविता ही लिखी थी बाद में डालूँगा उसे ब्लॉग पे

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  4. inshallah ek din aapki zindagi ki kahaani isse bhi zyada khiibsurat hogi. Filhaal ye bhi bahot khoob likha hai.

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  5. beautiful is the word :) :)

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  6. Khubsoort :)... Dua hai ki aap apni jindagi mein bhi bahut kab hi pyar likhenge iss kavita se kahin behtar, waise yeh manana jara muskil hai ki aapne ab tak nahin likkha :) :) ....

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  7. This post is so beautiful :). The writing is so good that I could visualize everything written and the tone of the post is really nice. And wishing you that jaise iss kahaani main aapne pyaar likha waise hi aasha hai ki zindagi main bhi aap likh paaye :)

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  8. Shashi,

    This is heartwarming...I am glad you wrote the story for Blog-a-Ton instead of the poem. Happy :)

    Someone is Special

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    1. धन्यवाद सरव
      आपको कहानी पसंद आई, अच्छा लगा जान के
      मैंने जो का कविता लिखी हैं वो जल्द ही ब्लॉग पे डालूँगा

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    2. That's great to know Shashi. I have tagged you here for a BlogAdda's contest. Please accept the tag and let me know your response.

      Thanks,
      Sarav

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  9. Good to see a story in our national language.. :) Keep it up.

    Do drop in my blog for your feedback..
    http://justsidding.com/2013/12/strangers-for-a-reason/

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  10. Shashi bhai, bahut hi sundar rachna hai yeh, aapki yeh kahaani saral parantu adbhut bhawo ke sath likhi gayee rachnaon me se ek hai, likhte rahiye.......
    hamari shubhkmnayen aapke sath hai, is kahaani ki bhanti aapki jindagi ke pyaale me shringaar ras ki baouchaare hongi, aur jald hi aapka pyala pyaar se laba-lab bhara hoga !!!

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    1. आपको कहानी अच्छी लगी, आभार प्रीतेश जी

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  11. Beautifully written Shashi ji . पल्लवी नाम था उसका, कहती थी -- nice to see my namesake :) All the best for the Blog a ton and thank you for visiting my blog :)

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  12. behtrien lekhni...
    aapke shabd dil ko chu gaye...

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  13. Bahut khoobsurat rachna! Padh ke bahut achha laga. :)

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  14. Somehow I have always loved the name, Pallavi! :)

    Its beautiful- kisi kavita se kam nahi hai...

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    1. धन्यवाद आकांक्षा जी

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