नगर नगरिया भाग २


नगर नगरिया, 
डगर डगरिया
क्यों कर सोई रे
चल बातें होई रे


कौन नगर की बात करूँ मैं 
कौन डगर की बात
क्या कोई सुनना चाहे,
मेरे दिल के भी हालात 


चुप कर, चुप कर 
दिल का रोना नहीं चलेगा 
खेल तमाशा बिगड़ेगा 
ताली ना पीटेगा कोई
न पइसा वइसा निकलेगा 


नगर नगरिया, 
डगर डगरिया
क्यों कर सोई रे
चल बातें होई रे


जनता चाहे हंसी ठिठोली 
इश्कबाजी औ झोलम झोली 
बीच कहानी ताल लगाना 
गाना वाना चलेगा भईया 
रोना धोना नहीं चलेगा 


अपना जीवन हंसता थोड़ी 
अपना गम फिर कौन सुनेगा
प्यार भरी पुचकारी नै (नहीं)?
दिल पर मरहम कौन धरेगा?


नगर नगरिया, 
डगर डगरिया
क्यों कर सोई रे
चल बातें होई रे


देख वो कोने खूटी 
टंगी हमारी बूटी
ढक्कन ढक्कन लेते रह
पौउआ सारी रात चले 


ये बात तूने सही है बोली 
दिन रोना पर रात ठिठोली 
चल पूछ हमारी जनता से 
कौन तराना आज सुनेगी 
कौन सा गाना आज सुनेगी 


नगर नगरिया, 
डगर डगरिया
क्यों कर सोई रे
चल बातें होई रे


: शशिप्रकाश सैनी


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