खुली आंख से सपने देखें


खुली आंख से सपने देखें
सपने सारे टूट गए 
हाथ बढ़ाया कुछ तो रख लूँ
दो एक सपना पाल सकूँ


सपने थे तो चुभते जग को
टूट गए अब चुभते मुझको 
दिल टूटा और टूट रहा है 
लहू हृदय से फूट रहा है


सपनों के पीछे मैं भागा
अपने सारे छूट गए 
अपराध हुआ बस इतना सा
खुली आंख से सपना देखा


: शशिप्रकाश सैनी


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