बिना बांह का स्वेटर



हर गाँठ में कुछ बाँध रही थी 
कही प्यार, 
कही दुलार, कही आशीर्वाद
पूरा होते होते वो स्वेटर सा दिखने लगा था,
गुलाबी रंग का
माँ ने मेरी चंचलता भी उकेर दी थी
तितली के आकार में, नीले रंग की


तब बिना बांह का स्वेटर भी ठंड रोक लेता था
आज पुरे जैकेट में भी कपकपाते रहते है
क्यों 
क्योकि स्वेटर में माँ की ममता थी
जैकेट में तो बस मुनाफा छुपा है


: शशिप्रकाश सैनी


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