जरा पर्दा करा करो





मोहब्बत 
इस शहर का, मर्ज बड़ा गहरा हैं 
वबा (महामारी) न हो जाओ , जरा पर्दा करा करो 


निगाह 
तेरी देखी,  हम क़ैद में आना चाहे 
शहर मुजरिम न हो जाए, जरा पर्दा करा करो 


अदाएं
अपनी थोड़ी, कम ही रख, नशा बहोत इनमे 
मयकदा दुश्मन न हो जाए, जरा पर्दा करा करो


उम्मीद 
इतनी न बढ़ा, वो पूजने लगे तुम को 
कल मजहब न हो जाओ, जरा पर्दा करा करो


कागजो 
में अगर इतनी यूँ जान डालोंगी 
कल को तुम्हे पूछे नहीं 
इन्हें ही घुरा करे
फिर न कहना की हम कहते न थे 
जरा पर्दा करा करो 


: शशिप्रकाश सैनी 


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