जरा पर्दा करा करो
मोहब्बत
इस शहर का, मर्ज बड़ा गहरा हैं
वबा (महामारी) न हो जाओ , जरा पर्दा करा करो
निगाह
तेरी देखी, हम क़ैद में आना चाहे
शहर मुजरिम न हो जाए, जरा पर्दा करा करो
अदाएं
अपनी थोड़ी, कम ही रख, नशा बहोत इनमे
मयकदा दुश्मन न हो जाए, जरा पर्दा करा करो
उम्मीद
इतनी न बढ़ा, वो पूजने लगे तुम को
कल मजहब न हो जाओ, जरा पर्दा करा करो
कागजो
में अगर इतनी यूँ जान डालोंगी
कल को तुम्हे पूछे नहीं
इन्हें ही घुरा करे
फिर न कहना की हम कहते न थे
जरा पर्दा करा करो
बहुत बढ़िया........
ReplyDeleteअनु
धन्यवाद अनु जी
Deletekhoobsurat
ReplyDeleteधन्यवाद सिफ़र
ReplyDeletebeautiful words ...keep up your writing !!
ReplyDeleteधन्यवाद केभारी जी
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