एक रुपया
हर जीद का जवाब
एक रुपया
मदारी का खेल
एक रुपया
झुला धकेल
एक रुपया
गोला चाहे लाल
एक रुपया
बुढ़िया के बाल
एक रुपया
क्या बाजार जाना
एक रुपया
कुछ भी मंगाना
एक रुपया
मुझको मनाना
एक रुपया
मेरा खजाना
एक रुपया
मेरी किस्मत कमाल
एक रुपया
चाहे गोल्क में डाल
एक रुपया
चाहे मुझसे ले लो
अनेक रुपया
लौटा दो वो वक़्त
मेरा वो एक रुपया
वो भी क्या दिन थे बचपन के
एक रुपया बहोत था अमीरी के लिए
: शशिप्रकाश सैनी
Comments
Post a Comment