जब दिनकर कलम पुकारी थी



शब्द शब्द सब ज्वालाएँ 
कंकड़ भी चट्टान हुए 
हर शब्द कविता भारी थी 
जब दिनकर कलम पुकारी थी 

"लोहे के पेड़ हरे होंगे"
जब नयन स्वप्न भरे होंगे 
गर राह में प्रतिबिम्ब खड़ा 
खुद से भी लड़ना होगा 

"शक्ति और क्षमा
क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा"
करुणा का गान सभी को 
आता अगर समझ में 
ह्रदय सभी के होते कोमल 
प्रेम पनपता रज रज में 

जुल्म हदों से पार गया और नहीं सह पाती हैं 
लहू नसों में दौड़े जनतंत्र गीत ये गाती हैं 
मत अपना मत अधिकार समझ कर्तव्य समझ
"सिंहासन खाली करो कि जनता आती है"

कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी
जब पढता रचनाए इनकी 
रोंगटे हो जाते खड़े 
आंखे आदर में झुक जाती हैं 

जन्मदिवस पे नमन करू 
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी 
वीर रस की ज्वाला को 
क्रांति की कलम को 
सत सत नमन करू 
मैं कलम छोटी सी 


: शशिप्रकाश सैनी


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Comments

  1. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के जन्मदिवस सुंदर रचना

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  2. Lohe ke ped hare honge, tu gaan prem kaa gata chal ; nam hogi yah mitti zaroor,
    aa(n)soo k kan barsata chal....

    aapki yeh rachna behad sundar :)

    ReplyDelete

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