आसान बात लिखू
लिखते हो हल्का
लिखो भारी तुम
जब कठिन शब्द लगाओ
तब खुद को कवि बताओ
ये कवि क्लासीकल
मुझे कवि मानते नहीं
तो मैंने कब लगाई अर्जी
मुझे मिले कुर्सी
कवि की
मै तो बस बडबडाता हूँ
लिखता हूँ
डाल देता हूँ ब्लॉग पे
जिसे अच्छा लगे पढ़े
न अच्छा लगे न पढ़े
कोई जबरदस्ती थोड़ी नहीं
हालात लिखू जज्बात लिखू
पर वही लिखू जो मुझे समझ आए
कठिन शब्दों के ताल मेल से
मै कविता न रचूँ
आसान आदमी हूँ मै
आसान बात लिखू
ओ कवि क्लासीकल
तुम्हे अगर अब भी लगे
मै मुर्ख गलतियों से भरा
तो मानलो
मै गलतियों का पिटारा
और मै सुधारना चाहता भी नहीं
मै मंदबुद्धि कवि
मुझे अच्छी लगे यही जिंदगी
मै मुफ्त का ज्ञान
मै बेवजह दखल चाहता नहीं
: शशिप्रकाश सैनी
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