प्लेटफार्म नंबर दस वाली महिला
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नयी लगी थी नौकरी
और नौकरी का दिन था पहिला
पलेटफार्म नंबर दस पे खड़ी थी एक महिला
हावभाव से सयानी
कपडों से मार्डन
ये महिला हिन्दुस्तानी
निचे टाइट जींस ऊपर टॉप
अर्थ का अनर्थ न निकालिए आप
लोगो ने अपने मतलब से अर्थ निकला
किसी ने बाए से किसी ने दाए से
धक्का दे डाला
ये सकुची सहमीं घबराई
जैसे ही डिब्बे में आई
शर्म सारी दुनिया की बेशर्म हो गई
लोगो ने न जाने कहाँ कहाँ आंखे गड़ाई
ये सकुची सहमीं घबराई
जैसे ही दफ़्तर आई
बॉस ने दिखाई बॉसियत
कलिग्स ने हैसियत
न जाने कहाँ कहाँ आंखे गड़ाई
सूरज नया हो आया था
दिन नया लाया था
इसबार दुप्पटे से ढकी
वही महिला प्लेटफार्म नंबर दस की
न टाई न बूट में
आई थी सलवार सूट में
फिर वही भीड़ वही धक्के पे धक्का
लोगो ने कई बहानो से छुआ
आपके कपडें बदलने से क्या हुआ
चाहे ठंडी में चाहे गर्मी में
कमी नहीं बेशर्मो की बेशर्मी में
किसी ने कहा था टीवी पे
की दुष्कर्म होते है इंडिया में
भारत में नहीं
इस पे वो महिला आई
प्लेटफार्म नंबर दस पे
साडी में लिपटी
न लाली न लिपिस्टिक
थी वो पूरी सादी
इस भारतीय नारी के
किसी काम न आई साडी
जब देर रात मिली अकेले
दरिन्दों ने नोच नोच इज्ज़त उतारी
किसी काम न आई साडी
किसी ढोंगी ने कहा था
व्यभिचारी को भाई बुलाओ
इस तरह अपनी इज्ज़त बचाओं
ये टोटका भी न आया काम
वो नोची गई हुई इज्ज़त नीलाम
किसी महिला प्रोफेसर ने दी थी सलाह
जब ऐसे हालात में खुदको पाओ
समर्पण करो अपनी जान बचाओ
सुनी को कर चली अनसुनी वो
अपने लिए लड़ी वो
वो चीखी चिल्लाई
जैसे ही बगल की ईट हाथ आई
खींच के मारा की तार तार किया
प्रतिरोध बखूबी इस बार किया
चीखों से भीड़ खिचीं आई
प्लेटफार्म नंबर दस वाली महिला
की इज्ज़त बचाई
खुद भी जानिए
दूसरों को भी बताईये
आपके कपडे बदलने से
भीड़ का चरित्र नहीं बदलने वाला
जो दरिंदा हो चूका है
वो याचनाओं से नहीं पिघलने वाला
माँओ को समझाइए
पाठ सिर्फ बेटियों को नहीं
बेटो को भी पढ़ाईये
सभ्य पुरुष बनाइए
आप खुद भी जान जाइए
आज इसने आँख गड़ाई है
तो कल हाथ भी बढ़ाएगा
परसों दामन लूटने पे आजाएगा
उसे समय पे जवाब दीजिए
उल्टा हाथ घुमाइए
ये हथेलियाँ बस
मेहंदी के लिए नहीं
ये दुनिया को बताइए
प्लेटफार्म नंबर दस वाली महिला
ये जान गई है
की खुद के कपड़े बदलने से
दुनिया की सिरत नहीं बदलने वाली
दरिंदों को लूटना ही होगा
तो बुर्के में भी लूट लेगा
कोई नहीं छुट देगा
अबला का नाम हटाइए
सबला हो जाइए
दुनिया को बताइए
ये हथेलियाँ सिर्फ मेहंदी के लिए नहीं
इतनी ताकत ले आइए
प्लेटफार्म नंबर दस वाली महिला
जान गई है
आप भी जान जाइए
सबला हो जाइए
: शशिप्रकाश सैनी
//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
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समाज के दरिन्दें कपडो को नहीं देखते,बेहद भावपूर्ण प्रभावशाली रचना.
ReplyDeleteधन्यवाद राजेन्द्र जी
Deletesamaj ke iss roop ko kavita ke roop mein prabhshali tarike se paish kiya hai aapne
ReplyDeleteधन्यवाद सिफ़र
DeleteWah wah! Aap ki kavita mujhe bahut hi bhayi! Is vishay ko lekar aapne bahut sundar sandesh vyakt kiya hai. Kavi tujhe mera salaam!
ReplyDeleteKripiya meri hindi maaf kijiye! :)
Rumya - The Woman on Platform No. 10
धन्यवाद रुम्या जी
DeleteVery well expressed, Shashi. This power packed poem is the need of the hour today.
ReplyDeleteधन्यवाद आकांक्षा जी
Deletegood one :) I read something in Hindi after a very long time.
ReplyDeleteAvada Kedavra - The woman on platform number 10
धन्यवाद अवदा जी
DeleteI think this is the first Hindi poem I have read ever since I loved school...the beauty of this language is astounding...your writing is beautiful...keep writing...
ReplyDeleteFirst time blogatoner....shreyasi
धन्यवाद श्रेयसी जी
Deletei always look forward to reading your poems on BAT..
ReplyDeleteधन्यवाद अस्तेरिया जी
DeleteSeriously, this poem is the need of the hour. Very well written!! Loved it. :)
ReplyDeleteATB for BAT!
धन्यवाद रोहन जी
Deleteso beautifully drafted...and very thought provoking...loved it :)
ReplyDeleteATB for BAT :)
do drop in at:
Karan - Grand Salute
धन्यवाद करण जी
DeleteBahut hi khoob likha hai aapne. Sunder shabdo se kadwi sachayi vyakt ki hai. :)
ReplyDeleteधन्यवाद अंजलि जी
DeleteThe content of your poem really did deserve recognition.
ReplyDeleteIt is probably the language that most could not read at BAT and so they could not understand it. But, if you had written this in any other language the essence would have been lost.
I still think what you wrote was THE BEST!
I will be following your blog!
धन्यवाद रुम्या जी
Deleteआपको कविता पसंद आई ये ही बहोत है
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteVery impressive composition... Shahsi ji u given a message very beautifully...
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