तेरे साथ की जरुरत हैं




तन की नक्काशी कही धोखा ना दे दे
मन से पुकारे
की एक आवाज की जरुरत हैं
साथ तेरे चलने से जले या ना जले दुनिया
पर क़यामत तक चले
की तेरे साथ की जरुरत हैं


झुर्रियाँ बाल सफ़ेद
सब उम्र के फरेब
तन न भाया भाया मन
दिल में दिखा न ऐब
दिल-ए-जज़्बात को तेरे जज़्बात की जरूरत हैं


ईट पत्थर से कोई घर न बना हैं
पत्थर जड़ा के ताज में
कोई सुन्दर न बना हैं
अपनों की दुआ मिले
तो घर भी बना ले
दिल जीत लाए तो सुन्दर भी बना ले
आशीर्वाद देता रहे उस हाथ की जरुरत हैं


हैं नयी दुनिया पर दस्तूर पुरानी
प्रेम सच्चा हो तभी चलती हैं कहानी
मै दिल से बात करता
तू भी दिल से बात कर
न मै किसी से डरता
न तू किसी से डर
दुनिया नयी होगी पर बात पुरानी
प्यार खरा हो तभी बढती हैं कहानी


: शशिप्रकाश सैनी 


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