पैसा रिश्तों पे भारी हैं
नीद हैं आँखों से ओझल
मै सपने लाऊ कैसे
दिल जलता हैं अंदर अंदर
मै आग भुझाऊ कैसे
न मंतर कोई मुझे आता हैं
न जादू टोना कोई
दिल से रूठी हैं दिलवाली
बरसोँ से किस्मत सोई
न पैसे के हैं पर कोई
न कोई हैं जी पैर
फिर भी पीछे मै भागू हू
मिल जाए तो ही खैर
पैसा रिश्तों पे भारी हैं
ये सारी दुनियादारी हैं
बिकता जब हैं प्यार यहाँ
मतलब की सारी यारी
सबकी बिकने की तैयारी हैं
पैसा रिश्तों पे भारी हैं
मतलब की सारी यारी
अब कैसे मन को समझाऊ
कैसे दिल को बतलाऊ
जिस पे आया था दिल मेरा
उसकी बिकने की अब बारी हैं
पैसा रिश्तों पे भारी हैं
मतलब की सारी यारी
हाथ बड़ा के ना छुना
की कीमत इनकी भारी हैं
पैसा रिश्तों पे भारी हैं
bahut achha likha hai Shashi!
ReplyDeletedhanywaad Amit ji
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