अकेले हम चले कितना




अंतरा :
हसीं चेहरे हैं इतने की
हसीं पूरा जमाना हैं
बहोत सुनी हैं
हम ने मोहब्बत की दास्ताँ
किसी से दिल लगाना हैं
किसी से दिल मिलाना हैं

सुना था बिना प्यार
जिंदगी अधूरी हैं
इसलिए प्यार करना ज़रुरी हैं
किसी गैर को
इस तरह अपना बनाना हैं
जिंदगी हैं सफर
और हमे पूरा सफर बिताना हैं

बचपन से यौवन का
सफर किया अकेले
उसके साथ बुढ़ापे तक जाना हैं
उसके साथ जीना हैं
उसके साथ मर जाना हैं
की बस चंद सासों का ठिकाना हैं
बाहों में बाहे डाल
ये सफर बिताना हैं

मुखड़ा :
किसी का हो जाना था
किसी से दिल लगाना था
बाहों में किसी के खोजना था
लंबा था सफर इतना
अकेले हम चले कितना
राह के रहगुज़र थे
हमे भी साथी बनाना था

: शशिप्रकाश सैनी


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