PACH प्रदेश Episode 1




उँगलियाँ थरथर कांप रही है मेरी, नहीं नहीं आप गलत समझ रहें है ये मदिरा का प्रभाव नहीं है, असल में पच प्रदेश को शब्दों में बांधना बड़ा ही कठिन कार्य है, फिर भी मैं कोशिश करूँगा |

आज से कई सदी पहले एक प्रदेश हुआ करता था “पच” उसे “पचप्रदेश” के नाम से भी जाना गया, इस प्रदेश की विशेषता यह थी कि यहाँ सभी कवि थे, नहीं नहीं आप गलत राह ले रहें है थोड़ा पीछे आइए आप आडम्बर से ढके कवियों की तरह मुड गए वो पच प्रदेश नहीं वो आडम्बर प्रदेश है, वहाँ भाव की प्रधानता नहीं |

भाव तो आपको पच प्रदेश में मिलेंगे भाव जादुई भी हैं और साधारण भी, इतने साधारण की पच कवि आपके बगल से निकल जाएगा आपको पता तक नहीं चलेगा, लीजिए हम फिर भटक गए अतीत की हम ने बात ही नहीं की ठीक से, वर्तमान पे टिप्पणी करने लगे, पहले बात अतीत की |

आज से करीब दो हजार वर्ष पहले भारत के एक कोने में पच प्रदेश हुआ करता था, था तो पच प्रदेश गाँव के क्षेत्रफल का, पर हर घर अपने आप में एक गाँव सा था, और हर शख्स न जाने कितने ही किरदार जीता, इसी वजह से पच को कभी गाँव नहीं कहा गया, गाँव तो छोटा होता है पच तो सीमाहीन था पच की न कभी कोई सीमा हुई न कभी हो पायेगी, पच हमेशा पच प्रदेश ही रहेगा |

पच प्रदेश के अस्तित्व में आने की भी अपनी ही कहानी है, क्या, क्या कहा ! आप कहानी सुनना चाहते है बहुत ही फ्री टाइप के आदमी मालूम दे रहें हैं चलो कोई नहीं मैं भी इन दिनों फ्री माने कि बेरोजगार हूँ|

तो सुनिए पच प्रदेश कैसे अस्तित्व में आया, हुआ यूँ की यहाँ से पूरब की तरफ एक क़स्बा हुआ करता था उस कस्बें में अभियांत्रिकी टाइप के लोग रहते थे नहीं समझे अरे लोहार जैसे बस फर्क यह था की इन्हें शरीर के साथ साथ बुद्धि भी खपानी पड़ती थी, इसी कस्बें में एक नमुना हुआ अनूप नाम था शायद, नमुना इसलिए कि जब पूरे कस्बें को कल पुरजो की खटर पटर सुनाई देती थी तो इन महानुभाव को संगीत और कविता घेरे रहती थी, इन पे काव्य रस इतना हावी हो गया कि इन्होने अपने परम मित्र सिद्धांत जिनका कोई भी सिद्धांत नहीं था,
उनसे एक सलाह मांगी और पूछा

“ मित्र सिद्धांत तुमसे एक सलाह मांगनी है”

इस पर सिद्धांत ने कहा “मित्र अनूप तुम मेरा स्वभाव जानते ही हो, मैंने कभी किसी को मना नहीं किया इसलिए मेरा नाम ही पड़ गया सिद्धांत मांगो और तुम तो मेरे परम मित्र हो मैं तुम्हे कैसे माना कर सकता हूँ”

कालांतर में शाब्दिक अशुद्धि के कारण सिद्धांत मांगो से बस मागो रह जाते है

अनूप ने फिर सवाल दाग “मित्र मेरा मन इन कलपुर्जों में नहीं लगता, अर्थ के अर्थ से मैं उब गया हूँ, मैं किसी ऐसी जगह जाना चाहता हूँ जहां भाव को और काव्य को प्रधानता दी जाए, अगर तुम्हारी नजर में कोई प्रदेश हो तो बताओ अभी प्रस्थान किया जाए”

इस पर सिद्धांत ने कहा “परम मित्र अनूप, ऐसा कोई प्रदेश अस्तित्व में नहीं है और जो थोड़े बहुत तुम्हारे ब्योरे से मिलते जुलते है तुम वहा जीवन न व्यतीत कर पाओगे, वहाँ भाव माने सिर्फ राज का गान, काव्य माने राजा का गुणगान जो तुम्हारी सहनशक्ति से परे है”

इस पर अनूप निराश हो के बोले “इसका आशय यह है हमें सादा, भाव शून्य रह के जीवन व्यतीत करना पड़ेगा”

इस पर सिद्धांत के मुख मंडल पर एक मुस्कान उभरती है और वो कहते है
“नहीं मित्र ऐसा नहीं है, जब ईश्वर ने इस सृष्टि की रचना की तो उन्होंने ये भी निश्चित किया जो भी कार्य शुद्ध अंतर्मन से किया जाएगा वो कभी व्यर्थ नहीं जाएगा, तुम आगे बढ़ो और खुद ऐसा प्रदेश रचो जहां भाव और काव्य प्रधान तत्व हो और बाकि सब गौण, और जिस दिन तुम्हारे प्रयास और अंतरमन सात्त्विक हो जाएगा उस दिन दैवीय कृपा से स्वयं ईश्वर तुम्हे दर्शन देंगे और काव्य पाठ करेंगे”

सिद्धांत मांगो से मांगी गई सलाह पे अमल करते हुए अनूप बिशनोई ने पच प्रदेश की नीव डाली, प्रारंभ में पच प्रदेश में महज चंद मकान ही थे,

इन्हीं प्रयासों को बल देते हुए एक दूरदृष्टा नारी जिनका कुल श्रेष्ठ था और वो स्वभाव से एक दम सौम्य थी उन्होंने ने अवतरण लिया, अवतरण मैं इसलिए लिख रहा हूँ कि मैं माने कि मंदबुद्धि कवि ने अश्लील लौंडे के साथ हाल ही में पच प्रदेश में प्रवेश किया हैं और हमारे प्रवेश का कारण बनी दीपाली जो शरमाती नहीं, देखा हम फिर मुद्दे से भटक गए, यही तो जिंदगी हैं भटकना संभालना तो लगा ही रहेगा |

तो हम कहाँ थे, हाँ सौम्या, अनूप और सिद्धांत ने मिल कर पच प्रदेश को विचार से उठा के जमीं पे धर दिया, और उस दिन से पच प्रदेश का न बस आकार बढ़ा अपितु ख्याति भी बढ़ी, और देश विदेश के प्राणी जो भाव और काव्य की प्राधानता से बने थे इस प्रदेश में जुड़ते चले गए |

पच प्रदेश की कहानी बड़ी लंबी है एक एपिसोड में नहीं बांधी जा सकती इसे कई एपिसोड लगेंगे, हाँ पर आपको मैं पचवासियों से जरुर मिला देता हूँ जो कहानी दर कहानी या यूँ कहूँ कविता दर कविता पच को जिन्दा रखेंगे,

आकांक्षा नहीं जी ये ई हैं ईकांक्षा,
यहाँ भाव अर्पण होंते है नील कमल खिलता है,
पच प्रदेश प्रतिभा का धनी हैं
यहाँ अमृत का राज हैं या यूँ कहूँ अमृत सागर हैं,
देविका की कामेश्वरी हैं,
पच रोहित, राहू माफ़ी कीजियेगा
राहू नहीं राहुल से सू शोभित है,
यहाँ नरो में इंद्र भी है,
आविका और मेघा में शरारत भरी है,
तो सुधांशु का विवेक सर्वोपरि है,
पच की आभा हरी भरी है
ना ना
पच की आभा का कारण हैरी है
पच भाव में करुण है वेग में वरुण है
पच में देखे तो बेमोल कुछ भी नहीं
और समझे तो यहाँ सब कुछ अनमोल हैं
पचप्रदेश की ज्योति और वैभव बना रहें
बस यही कामना है

पच प्रदेश में और भी कई प्राणी निवास करते है, पर उनको मैं पहले एपिसोड में नहीं बांध पाया इसके दो कारण हो सकते है,
पहला या तो वो मेरी फ्रेंड लिस्ट में नहीं है
दूसरा और महत्वपूर्ण कारण
या तो मेरे पेय पदार्थ का असर ढलान पर हो
कारण सुविधा अनुसार चुन ले, वैसे नियति ने चाहा और मैं पच तंत्र आगे लिख पाया तो सबको लपेट लूँगा

: शशिप्रकाश सैनी


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Comments

  1. kaya kehna...R U still in Delhi or bk to MUM ?

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    1. धन्यवाद अल्का जी
      अभी भी दिल्ली में हूँ

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