रिश्ते मर गए
ननिहाल है किस हाल है
किसको बताए हम
पीपल उखड़ गया
पत्ते झड़ गए
कहाँ यादे बसाए हम
कौन रहता साथ हरदम
रिश्तों की गिनती है कम कम
वक्त के आगे
सभी सब हार जाते हैं
हैं यहां किसको पता
किस पार जाते हैं
घर भी अपना घर नहीं है
सब यहाँ ईंटे गिराते हैं
बाप ने जो घर बनाया
वहीं दीवारें उठाते हैं
पुश्तों की धरती पे
हम ऐसे बिखर गए
लोग कैसे क्या हुए
रिश्ते ही मर गए
आम को जड़ से उखाड़
अमरूद को हिस्सों में डाला
बट गई बचपन की यारी
बट गई यादें हैं सारी
मतलब के रिश्तों के आगे
दिन बदल गए
काम जब सारा निकल गया
तो दिल बदल गए
@kavishashi26
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