सन्नाटा अंकुर फूटेगा


रैन जगू मैं, दिन सो जाऊं 
इक सन्नाटे की बात बताऊँ 
सन्नाटे में इक बीज पड़ा है 
भाग भाग के खीज पड़ा है 


दफ्तर दफ्तर माटी डाले 
कटपुतली बन बात दबा दें 
सन्नाटे से दूर रखा है 
हमको चकनाचूर रखा है 


नैन रैन हो आए जब 
बूंद बूंद बरसाए जब 
गम का दरिया छुटेगा 
सन्नाटा अंकुर फूटेगा 

  
जब रैन दिवानी आएगी 
ख्वाब फसल लहराएगी 
अक्षर  शब्द  लुटाएगी
गीत  कहानी  गाएगी 


‪#‎Sainiऊवाच‬

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