मेरी किस्मत में पत्थर था

कभी रोना नहीं आया 
कभी हंसना नहीं आया 
मेरी किस्मत में पत्थर था
जिसे धड़कना नहीं आया
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हाँ! मैं भी बिकाऊ था 
मुझे बिकने की चाहत थी 
एक मुस्कान के बदले 
हम दिल हार बैठे थे 
बाजारों में कटी उम्र 
मगर बिकना नहीं आया
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न जख्म ठहरेंगे, न दर्द ठहरेगा 
तेरा साथ देने को कोई नहीं होगा
तन्हाई वफा देगी या बेवफा होगी 
हमेशा साथ चलने को कोई नहीं होगा
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हसरतों के बोझ ने सर को झुकाया है 
जब अदना सा खादिम भी आंखें दिखाता हो
समझो हसरतों की गठरी कहीं पे छोड़ आया है
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कभी है बर्फ सी गर्मी 
कभी है आग की ठंडक
शब्दों से गलत खेला
हम रातें बहोत जागे
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कभी किरदार जीता है 
कभी किरदार मरता है 
कलम की ये भी है खूबी
कि स्याही लाल लिखती है
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जिसे मतलब से मतलब हो 
हमें उससे है लेना क्या 
बिन मतलब की बातें हैं 
मैं पागल जरा ठहरा
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उंगलियों में भरी धुएं की खुश्बू बताती है 
होठों ने अब की फिर एक गम जलाया है
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इस कहानी का मैं रचयिता हूँ 
मेरे किरदार मुझे पूजे 
उन्हें डराना बहोत होगा
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कलम मेरी सिक्कों पर नाचती है 
हाँ !
पर जब रूठ जाती है 
अपनी बहोत करती
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अदब भी है 
बेअदबी भी बहोत हमें 
अब तुम पर है 
कि तुमको क्या जुबां आती
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ख्वाब ऐसे हैं 
कि नींद नाराज बैठी है 
मेरे ख्वाब देखोगे 
तो जगना बहोत होगा

#Sainiऊवाच

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