मेरी किस्मत में पत्थर था
कभी रोना नहीं आया
कभी हंसना नहीं आया
मेरी किस्मत में पत्थर था
जिसे धड़कना नहीं आया
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हाँ! मैं भी बिकाऊ था
मुझे बिकने की चाहत थी
एक मुस्कान के बदले
हम दिल हार बैठे थे
बाजारों में कटी उम्र
मगर बिकना नहीं आया
-----------------------------------------------------------न जख्म ठहरेंगे, न दर्द ठहरेगा
तेरा साथ देने को कोई नहीं होगा
तन्हाई वफा देगी या बेवफा होगी
हमेशा साथ चलने को कोई नहीं होगा
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हसरतों के बोझ ने सर को झुकाया है
जब अदना सा खादिम भी आंखें दिखाता हो
समझो हसरतों की गठरी कहीं पे छोड़ आया है
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कभी है बर्फ सी गर्मी
कभी है आग की ठंडक
शब्दों से गलत खेला
हम रातें बहोत जागे
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कभी किरदार जीता है
कभी किरदार जीता है
कभी किरदार मरता है
कलम की ये भी है खूबी
कि स्याही लाल लिखती है
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जिसे मतलब से मतलब हो
हमें उससे है लेना क्या
बिन मतलब की बातें हैं
मैं पागल जरा ठहरा
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उंगलियों में भरी धुएं की खुश्बू बताती है
उंगलियों में भरी धुएं की खुश्बू बताती है
होठों ने अब की फिर एक गम जलाया है
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इस कहानी का मैं रचयिता हूँ
मेरे किरदार मुझे पूजे
उन्हें डराना बहोत होगा
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कलम मेरी सिक्कों पर नाचती है
हाँ !
पर जब रूठ जाती है
अपनी बहोत करती
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अदब भी है
अदब भी है
बेअदबी भी बहोत हमें
अब तुम पर है
कि तुमको क्या जुबां आती
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ख्वाब ऐसे हैं
कि नींद नाराज बैठी है
मेरे ख्वाब देखोगे
तो जगना बहोत होगा
#Sainiऊवाच
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