फुल टाइम लेखक की महत्ता



मानव इतिहास में हम दो तरीको से झांक सकते हैं, एक इतिहासकार के जिरए, दूसरा लेखक के माध्यम से. दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, इतिहासकार आपको तथ्य से रूबरू करा सकता है, जैसे कोई शरीर हो कि ये आँख है, ये कान, ये दांत वगैरह वगैरह. दूसरी तरह उस काल का लेखक उस समय के समाज की आत्मा से आपको जोड़ता है और जितना आप समाज को समझेंगे उतना ही उनके इतिहास को समझना आसान होगा.


किताबें महज किताबें भर नहीं ये "टाइम मशीन" हैं, जो आपको काल यात्रा कराने में सक्षम है जैसा कि मुझे प्रेमचंद और टैगोर पढ़ कर लगता है, आपको भी लगा होगा शायद. मैं यह दावा नहीं करता कि मैं आपने वाली पीढ़ियों के लिए वर्तमान काल का बिम्ब छोड़े जा रहा हूँ, मगर कोई और तो ये बिम्ब गढ़ ही रहा होगा कविताओं से, नाटकों और कहानियों से, फ़िल्मों से.


आज हम पुराने दौर की किताबें पढ़ कर उस दौर को महसूस कर पा रहें हैं, समझ पा रहें है कि समाज का विकास कैसे हुआ और जब हम समाज का विकास समझते है तब हम ये भी समझ रहे होतें हैं, कि मानव विकास कैसे हुआ (मैं यहाँ शारीरिक विकास की बात नहीं कर रहा).


जब उस दौर के लेखकों ने अपनी रातें काली की तब जा कर हमें ये कीमती किताबें मिली. फिजूल ही लोग कभी काली मिर्च को, कभी पेट्रोलियम को काला सोना कहते आएं है, असल में काला सोना वो शब्द है जो उन किताबों में लिखे गए.


‪#‎Sainiऊवाच‬

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