दिल 2013 के लिए तैयार है
वही ठंड की ठिठुरन वही रजाईयो में गलन कभी कोहरा कभी बदली किस्मत नहीं बदली धूप पड़ी नहीं दिल-ए-बात बड़ी नहीं एक तो रोजगार का सिरदर्द रहा दूजा दिल-ए-मौसम सर्द रहा जिल्लत रही तनहाई रही बारह की बेवफ़ाई रही न कोई रोशनी न चांदनी कही पूरा साल ही मुझ पे परछाई रही बारह की बेवफ़ाई रही दिल तेरह के लिए तैयार है थोड़ा इन्तेजार-ए-प्यार है थोड़ा इन्तेजार-ए-रोजगार है ठंड जाए गर्माहट बढ़े चार पैसे कमाए बहोत रोटी तोड़ी कुछ हम भी घर लाए जिन उंगलियों को पकड़ अब तक चले वो कंधा बुढा होने को है हम भी कंधा हो जाए जीने को एक और हौसला हो जाए चार पैसे कमाए कुछ हम भी घर लाए इन रुखी सर्दियों का अंत हो सूरज हम पे भी मेहरबान हो मेरा भी बसंत हो : शशिप्रकाश सैनी