गधी भी न नसीब हमको
एक ये जो रोज घोड़ी चढ़े एक हम की गधी भी न नसीब हमको वो गुड जैसे मक्खियां भिनभिनाती है और हम सच जो बोल गए कोई रखे भी ना करीब हमको मलाल दिल का मलालो में मलाल रहा कभी सुर्ख होठो पे कभी आँखों पे हुए फ़िदा पास जो गए थप्पड़ पड़ा और चेहरा लाल रहा मलाल दिल का मलालो में मलाल रहा हम सीधे कहे कोई बात बनाना न आए उसको घोड़ी चलाना आए हमको ना आए काम कोई बस दिल लगाना आए घोड़ी वालो का सवाल न लगाम न काठ न डोर कोई कैसे रखोगे काबू ये चिड़िया नहीं कमजोर कोई दिल की समझे दिल इसमें क्या जोर अजमाने को वो हो जाए हमारी हम उसके ना रहे कुछ हक जताने को : शशिप्रकाश सैनी