कभी चंचल कभी चतुराई हैं
प्रियतमा मन पे यू छाई हैं
अठखेलियां उसकी दिल में समाई हैं
चाल लगे मृग्नी सी
कंठो में शहनाई हैं
जाने किस जहां से आई हैं
कभी चंचल कभी चतुराई हैं
खुदा दिखने लगा हैं उसमे
दिखने लगी खुदाई हैं
उसके साथ ही तो ज़िंदगी जी हैं
उससे पहले तो बस ज़िंदगी बिताई हैं
: शशिप्रकाश सैनी
wah!!!!!!!!!!!!how romantic............
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