कविताये मायाजाल



जब शब्द माया हो 
तो कविताये मायाजाल
कवि होता हैं मायावी 
जब धड़कने सबकी होती रुकी -रुकी 
इनकी आँखों में दिखती जिंदगी

काव्य होता कभी
प्रकृति का पालना 
कभी लक्ष्य होता 
गिरते आदर्शो को सम्भालना
जब-तब हास्य की छटा बिखेरे 
भुलाती दर्द के घेरे 

ये दिखाती जिंदगी के लिए समर्पण 
ये भावनाओ का दर्पण 
जब पाप का भागी बने संसार 
तब पुण्य का करती संचार 
चाहे भाषाए भिन्न 
चाहे आत्माए सुन्न 
ये राह पर अटल 
चलती संभल-संभल 
जब मौत दिखती हरदम 
ये जिंदगी की सरगम 



जब आदर्श हो पथभ्रष्ट
पहुचे आत्मा को कष्ट
जब बनता ये जंजाल 
तब मै भी रचता मायाजाल

: शशिप्रकाश सैनी



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Comments

  1. mayajaal...
    mayajaal rachna ya uski maya se bach pana... sono thoda sa muskil zaroor hai parantu namumkin nahi hai...

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