पत्थर बना दिया
जब ठोकर लगी तुझे
तो रास्ते का पत्थर कह दिया
तू रास्ता थी भटकी और
जहा से गुज़री वो मेरा आशियाना था
याद हमने दिलाय तू कहा जा रही थी
और तुझे कहा जाना था
तेरी चोटों की नुमाइश हुई
मेरे ज़ख्मो को छुपाने का
रोज़ एक नया बहाना था
तेरी हर खता माफ़ होती जफा माफ़ होती
जो खंज़र पीठ पर चलाया
उसे सिने पे चलाना था
मेरे आह्सानो का यही सिला दिया
मैंने ये नहीं चाहा
कोई मुझे देवता समझे
पर तुने तो पत्थर बना दिया
: शशिप्रकाश सैनी
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