आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है
किताबों में ज्ञान भी होता है ये जरा देर में मालूम पड़ा हमको। माजरा कुछ यूँ है कि हमें बचपन में नींद जरा ज्यादा आती थी। जबरन स्कूल भेजने का नतीजा ये हुआ कि हमने अनजाने में यह जान लिया कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। हमने गुस्से में किताबों की ओर देखा तो हमें ज्ञात हुआ कि इनका तो बिस्तर भी बनाया जा सकता है। हमने आव देखा न ताव बस्ता उठाया और स्कूल के पीछे वाले खेत में घुस पड़े, पेड़ के नीचे अपन आसन जमाया और चैन की नींद ली।
आवश्यकता और उसके बाद किया गया आविष्कार कभी कभी आपका पिछवाड़ा भी लाल कर सकता है। हुआ भी यही जैसे माँ को हमारे आविष्कार के बारे में एक भेदी ने बताया, माँ भड़क उठी। और माँ ने फैसला किया कि हमें बच्चों पर वर्षों से प्रयोग होने वाले आविष्कार माने बेंत से भेंट कराने का अवसर आ गया था। अंततः लाल हमारी भी हुई और हमने यह सीख कि आविष्कार हमेशा दूसरे के सामान पर करें।
#Sainiऊवाच
Comments
Post a Comment