आज हम बात करेंगे चाय की, जो की दूध, पानी, चीनी और एक विशेष पौधे की पत्तियों से तैयार कि जाती है, अंग्रेज जब भारत छोड़ के गए तो वो अंग्रेजी के साथ साथ चाय छोड़ गए, भारतीय व्यवस्था को चलाने में चाय और अंग्रेजी दोनों ही ईंधन लगते है | जी हाँ चाय के पास हर समस्या का उपाय है, चाय के साथ कुछ और वस्तुएं जुड जाएँ, तो वो एक दम अचूक इलाज साबित होती है चाय, नहीं मानते गौर कीजियेगा चाय और सुट्टा, ये जुगलबंदी चिंता मिटाएँ, नए उपाय सुझाएँ, एक हाथ में सुट्टा और दूजे में चाय नया हौसला ले आए अब कहानी चाय-पानी की, चाय-पानी की असल महिमा वही बता सकता है जिसका नित्य सरकारी दफतरों में आवागमन हो, फ़ाइल को हिलाने की सारी परेशानी दूर करे चाय-पानी यहाँ तक कि लड़की के हाथ कि चाय शादी तय कराएं अब हम आते है असली मुद्दे पे, चाय कैसे कुर्सी दिलाएं या चाय कैसे कुर्सी बचाएं मोदी ने चाय कि महत्ता सबसे पहले समझी और दिल्ली सल्तनत के खिलाफ चाय को बखूबी इस्तेमाल भी कर रहें है, “चाय पे चर्चा” को ही ले लीजिए जनता की हाय और मोदी की चाय जब मिल जाए, तो कांग्रेस की कुर्सी जाएँ हाल में पप्पू...