कोई आने को है


ज़िन्दगी हमारी भी खुबसूरत हैं 
और ये भी मुस्कुराने को हैं 
बहार बन कोई आने को हैं 
घर अच्छा तो हैं 
गुंजाईश इसे और भी सजाने को हैं 
गम दिल का तो हैं 
पर वक़्त मरहम लगाने को हैं 
इश्क ही इश्क है हवाओ में
आसमा प्यार बरसाने को हैं 
बस दिल दिखने को हैं 
ये समझाना ज़माने को हैं 
          बहोत बताने को हैं         
कुछ नहीं छुपाने को हैं 
गम की रात बीती
सुबह हो जाने को हैं 
अब ज़िन्दगी मुस्कुराने को हैं 

: शशिप्रकाश सैनी

© 2011 shashiprakash saini,. all rights reserved
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Comments

  1. wah kya baat hai..yaar..

    अब ज़िन्दगी मुस्कुराने को है

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  2. Well done bro... Loved this poem... Good work... Keep writing!!! Enjoy!

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