स्वप्नों की परिधि क्या है


स्वप्न कहाँ पर
स्वप्न हो कैसा 
स्वप्नों की परिधि क्या है 


यथार्थ छूटेगा 
नींद चलोगे 
स्वप्न चुनेगा 
अपना शिकार 


राह अगर तुम 
थक जाओगे 
गिर जाओगे 
मर जाओगे 
स्वप्न मरेगा किन्तु ना
स्वप्न यथार्थ होने का इसको
यह प्रेत बहोत बलशाली है 


फिर से कोई नींद चढ़ेगा 
स्वप्न नया शिकार चुनेगा 
जिसे प्रेत स्वप्न लग जाएगा 
न सुध होगी न नींद ही होगी 
मन जितना बलवान रहेगा
स्वप्न यथार्थ छू पाएगा 


जो कमजोरों पर आती है 
वो स्वप्न नहीं बस भ्रांति है 
लालसा पर आवरण स्वप्न का
चार थपेड़ों में वो अपना 
रूप सही दिखलाएगा
जो कमजोर हृदय रखता हो
स्वप्न नहीं जी पाएगा

: शशिप्रकाश सैनी

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