मेरी रजाई मेरा तकिया
तुझसे भली मेरी रजाई मेरा तकिया इन्हें गर्म कर दूँ तो गर्माहट बनी रहें जब तक हू इनके साथ ये मेरे बस मेरे तेरे जैसी नहीं ख्वाबो और ही आहट बनी रहें शराब और शबाब दोनों ने दगा किया इस सर्द रात में कोई काम आया तो बस यही एक मेरी रजाई दूजा मेरा तकिया जाम की सब ख्वाईशें, बोतल में रह गई हम तेरे मोबाइल में मिस कॉल बन गए : शशिप्रकाश सैनी //मेरा पहला काव्य संग्रह सामर्थ्य यहाँ Free ebook में उपलब्ध Click Here //