हाँ! मेरी फटती है
कभी हल्के हल्के, कभी जोरो से कभी एकांत में, कभी भीड़ में कभी चारों ओरों से फटती है हाँ ! मेरी फटती है पहली बार कब फटी थी शायद जब राकेश की नाक तोड़ी थी फिर फटने का सिलसिला चलता रहा कभी खुद के कामों से कभी दुनिया के ईनामों से चूतडों में सरसराहट हुई और मेरी फट गई हाँ ! मेरी फटती है दूसरी बार जब गुरप्रीत को धमकाया था वो अपनी मम्मी ले घर आया था तब आकाशवाणी हुई थी “बेटा ! आज तेरी चौतरफा फटेगी” और फटी, फटना ही था दो दिन तक लगातार फटती रही हाँ ! मेरी फटती है कितनी बार? कैसे? कहाँ-कहाँ? फटी ! कितना बतलाऊं मेकैनिकस के पेपर में बी एच यूँ की काउंसलिंग में नौकरी के पहले दिन लगातार निरंतर फटी है हाँ ! मेरी फटती है दिल्ली के किस कोने में किस वक्त मेरी नहीं फटी आज फिर एक बार चूतड़ों ने सरसराहट महसूस की है हाँ ! मेरी फट रही है आज फर्श पे फट रही है तों क्या कल अर्श पे नहीं फटेगी ? फटेगी जरुर फटेगी चार गुन...