दिल के कुछ सवाल हैं
वो कहेंगीं क्या वो सुनेंगी क्या मेरे साथ वो चलेंगी क्या क्या अलग हैं उसका रास्ता क्या समझेगी दिल का वास्ता न हिसाब हैं न किताब हैं सब सही कुछ है गलत नहीं कुछ दिल के सवाल हैं कुछ दिल से जवाब दे कुछ हसीन से ख्वाब दे न परदे है न बेडियां हैं न बंधन न कोई आजाब हैं बस खुलीं दिल-ए-किताब हैं न ताले हैं न पिंजरे हैं न चाबियों का हिसाब हैं आजाद परिंदा हू साथ उड़ चल बस यही एक ख्वाब हैं दिल के कुछ सवाल हैं उसे चाहिएं बस जवाब हैं : शशिप्रकाश सैनी