इश्क फरमाए ऐसे थे हालात नहीं
जिनसे मिले ख़यालात उनसे बनी कभी बात नहीं जिनसे बनी बात वो मेरे ख़यालात नहीं हम भी इश्क फरमाए ऐसे थे हालात नहीं जब हुए हालात तब हुई मुलाक़ात नहीं जिनमे था बैठना उनमे कोई सौगात नहीं जिसमे दिखा प्यार उस दिल में मेरे लिए जज़्बात नहीं यही ज़िन्दगी का रोना हैं दिल दिल नहीं खिलौना हैं जो खेले बेईमानी से उसे प्यार हज़ार मिले जिसने दिल को समझा दिल उसे बस धुत्कार मिले गम ख़ुशी क्या हैं ये ज़िन्दगी क्या हैं चंद सिक्को में बिक जाये वो आदमी क्या हैं : शशिप्रकाश सैनी © 2011 shashiprakash saini,. all rights reserved