हम दिल को अनसुना करते गए
दिल के सवालों का कोई जवाब न था हम दिल को अनसुना करते गए ------------------------------------------------ कुछ यूँ है जिंदगानी न ख्वाब न कहानी न ठोर न ठिकाना मुकद्दर है बहे जाना इश्क़ की लकीरें हाथों में बहुत ढूंढी जो था ही नहीं उसे ढूंढते हैं हम भी बड़े हैं जाहिल होश बना दुश्मन मयखाना मेरा साहिल ------------------------------------------------ जब जिस्म चाहेगा तो हार जाए सैनी रूहानियात की चाह मुझे पागल बनाएँ जाती है ------------------------------------------------ प्रेम की परिधि में बंधने को आतुर मन वर्ष बीते जा रहे हैं स्पर्श के अभाव में हृदय कब से प्रार्थी है वरदान तुम न दे सको तो शुष्क होने का अभिशाप दे दो #Sainiऊवाच