Posts

Showing posts from October, 2022

छठ पर जाएंगे घर

Image
कभी देश में परदेश में चाहे हो कौनों भेष में  कहीं गाड़ियों में चल रहा  या उम्र भर पैदल रहा    सब साल भर की छुट्टियाँ  वो मोतियों सी सहेजता  कोई पूछ ले अगर उसे  इस दौलत का करोगे क्या? बड़ी मासूमियत से कहता  छठ पर जाएँगे घर भियाँ!   कोई confirm पे चढ़ा हुआ  कहीं RAC पे लगा हुआ  कभी किसी कोने पड़ा हुआ  यहाँ आँखों में जगता सूर्य है  नदी का किनारा सज़ा हुआ  मंद मंद मुस्कानों से  सारा चेहरा भरा हुआ    वो निर्जला माँ की आस है  पूरे गाँव घर का विश्वास है  पिता के कंधों से कंधा मिलाएगा  नहाय खाय से पहले ही  मेरा लल्ला घर आएगा      घर तैयारियों में लगा हुआ  सारी रात रात जगा हुआ  यादों का भी झरना हुआ  जब घर में खरना हुआ  सब बैठे हैं मीठी भात खाने को  मन में नयी यादें बसाने को      साँसों में हलचल लिए  गन्ना फल नारियल लिए वो गंगा जी तक जा रहा  माँ का दौऊरा उठा रहा    ये ऐसी संस्कृति ऐसी सभ्यता है  जहाँ डूबते को भी प्...