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एक कहानी डरी हुई है

कागज पर सन्नाटा पसरा  कलम ठिठक कर खड़ी हुई है  एक कहानी डरी हुई है  अगले मोड़ पर नया है पन्ना  नए नए ले किरदारों से  उसको बिलकुल नया है बनना  संकोचों से भरी हुई है  एक कहानी डरी हुई है पाठक का उत्साह न डूबे  लिखने है नित नए अजूबे लिख के पीछे हट जाती है  पंक्ति पंक्ति कट जाती है  संदेहों में पड़ी हुई है  एक कहानी डरी हुई है सिक्कों की बरसात बुलाए  लेखक के बटुए तक जाए सम्मानों का ढेर लगाए  सोचे हिंदी इंगलिश गाए  उम्मीदों से दबी हुई है  एक कहानी डरी हुई है  #Sainiऊवाच

मंतर चाहे जीने वाला

मंतर चाहे जीने वाला  रात आसव को पीने वाला   भसम करे जो ढेर से ताने दर्द हमारे सीने वाला बड़ी ही काली रातें देखीं   खू को मेरे अम्ल बनाए ऐसी तो बरसातें देखी छोड़ दे मनवा रोना धोना   ऐसा मैं चाहूँ जादू ढोना अंतर तक तर तर हो जाऊँ   ऐसा कोई मंतर चाऊँ भाग्य का रोड़ा तोड़ सके जो सुख की नदियाँ मोड़ सके जो सांसें डर के पार चलाऊँ   ऐसा कोई मंतर चाऊँ ‪#‎ Sainiऊवाच‬

मैंने कविता पढ़ना छोड़ दिया है

कुछ मेरे भीतर था जिंदा  जो बचपन जैसा था एक रात ऐसा डर आया   खुद से लड़ना छोड़ दिया है   हाँ! मैंने कविता पढ़ना छोड़ दिया है सपनों की सच्चाई देखी देखा टूटें अरमानों को प्रतिभा के माथे चढ़ चढ़ कर मन का मढ़ना छोड़ दिया है   हाँ! मैंने कविता पढ़ना छोड़ दिया है छोड़ सके तो, छोड़ मैं देता   कागज कलम सिहाई को लत अपनी ये तोड़ न पाया   भाव मैं गढ़ना छोड़ न पाया पर हाँ! मैंने कविता पढ़ना छोड़ दिया है ‪#‎ Sainiऊवाच‬