Posts

Showing posts from September, 2014

खाली फुकट के तिवारी जी

आज आँख खुली तो पाया हमारे फ़्लैट में खाली फुकट के तिवारी जी घूम रहें थे, ये दिन भर खाली रहते है कौनों काम नहीं इस लिए इन्हें खाली कहा जाता है और फुकट इस लिए कि दिन भर फुकट का सुट्टा ढूंढते रहते है, और हम जी इस लिए लगाए दिए कि जब से आप पार्टी अस्तित्व में आई है कौन जानता है कौन खाली आदमी कब मंत्री बन जाए | इनका पसंदीदा काम है दिन भर बिरहा सुनना घाघरा चोली वाले भोजपुरी गाने इनको सबसे प्रिय है और जब हम से छत पे भेट जो जाती है तो हमे भी जबरदस्ती सुना देते है, ये कहते हुए देखे कवि जी बम्बई में रहते हुए भोजपुरी भूल तो नहीं गए | आज का किस्सा ये है कि आज ये हमारी अम्मा के भेष में आग गए और बोले “कवि जी शादी काहे नहीं कर लेते हो अब तो तुमारी दाढ़ी भी पकने लगी है, ये ही सही बकत है कर लो बाद में कौनो नहीं मिलेगी” अभी बस सो के उठे ही थे और ये वज्रपात मन तो किया इन्हें दंडवत प्रणाम करे फिर सोचे कि हमारा दंडवत जिसे लग जाएगा बिचारा प्रणाम करने लायक नहीं रहेगा, फिर इनपे आगई हमको दया, जवान जुवान लड़का है अभी से इनका प्रणाम खराब कर दिये तो जिंदगी भर कुछ न कर पाएंगे, हम नजर अंदाज किए और सोच

जिंदगी तमन्नाओं का शिकार हो गई

जिंदगी तमन्नाओं का शिकार हो गई  टूटते रहे पल-पल, हम कहीं के न हुए -------------------------------------------------- कितनी बार मुस्काना पड़ा  दर्द अपना छिपाना पड़ा  आंसुओं पे हँसने वालों से  मरहम की उम्मीद भी क्या रखे ------------------------------------------------- हर मोड़ मुखौटे बैठे हैं हर रस्ते पर बाधा है दुनिया के ढोंग पिटारे में धक्कम धक्का ज्यादा है : शशिप्रकाश सैनी 

अंधकार घोर अंधकार

प्रत्यक्ष क्या है अंधकार घोर अंधकार, पर संसार कहेगा अंधकार कहा है, सुबह हो चुकी है, चिड़ियों की चहक सुनो वो भी प्रकाश पर्व मना रही हैं। हाँ मैं मानता हूँ सुबह हो चुकी है, पर अंधकार तो है, यह मेरा अंधकार है ये आपके अंधकार से अलग है, जग के सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती यहाँ, मैं उस भटके हुए यात्री की भाँति हूँ जिसे दिशा भ्रम हो चला है, और जब तक मुझे मेरी सही दिशा नहीं मिलेगी तब तक संसार का कोई प्रकाश स्रोत मेरा अंधकार दूर नहीं कर सकता, अंधेरा अंदर है तो उजाला भी अंदर से ही आना होगा । : शशिप्रकाश सैनी