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Showing posts from March, 2012

ना का डर हां से हल्का है

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जब तक इज्ज़त की फ़िक्र थी मै बोलता न था कभी हौसला कम था कभी फासला था बहोत कभी आवाज़ की कशिश थी कभी नज़रों में था नशा फिर जो नज़र का असर होने लगा होश मै खोने लगा नशा मोहब्बत का सर पे तारी हो गया हौसला इज्ज़त से भारी हो गया ना का डर हां से हल्का है मोहब्बत जाम है और जाम छलका है फैसले की चाह में हौसला बड़ाया है पिंजरे तोड़ ये परिंदा उड़ने आया है एक हां की ललक में हौसला बड़ाया है एक ना के डर से अब तक खुद को आजमाया ना था सीने में प्यार था दुनिया को दिखाया ना था हां से हासिल होगा ना से फासला होगा होने को वही होगा जो किस्मत में लिखा होगा कलमकार हू कलम चलाता रहूँगा ज़िंदगी की भट्टी पे जज्बात जलाता रहूँगा :शशिप्रकाश सैनी

पैसा रिश्तों पे भारी हैं

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नीद हैं आँखों से ओझल मै सपने लाऊ कैसे दिल जलता हैं अंदर अंदर मै आग भुझाऊ कैसे न मंतर कोई मुझे आता हैं न जादू टोना कोई दिल से रूठी हैं दिलवाली बरसोँ से किस्मत सोई न पैसे के हैं पर कोई न कोई हैं जी पैर फिर भी पीछे मै भागू हू मिल जाए तो ही खैर पैसा रिश्तों पे भारी हैं ये सारी दुनियादारी हैं बिकता जब हैं प्यार यहाँ मतलब की सारी यारी सबकी बिकने की तैयारी हैं पैसा रिश्तों पे भारी हैं मतलब की सारी यारी अब कैसे मन को समझाऊ कैसे दिल को बतलाऊ जिस पे आया था दिल मेरा उसकी बिकने की अब बारी हैं पैसा रिश्तों पे भारी हैं मतलब की सारी यारी हाथ बड़ा के ना छुना की कीमत इनकी भारी हैं पैसा रिश्तों पे भारी हैं : शशिप्रकाश सैनी 

लहू से तरबतर हैं दुनिया

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लहू से तरबतर हैं दुनिया दिल लगाने पे खंजर हैं दुनिया जब चाहत को चाहना भी हो गुनाह तो जहन्नुम से बदतर हैं दुनिया जात समझती हैं जज़्बात नहीं मोहब्बत के लिए जहर हैं  दुनिया : शशिप्रकाश सैनी

तेरे साथ की जरुरत हैं

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photo courtesy: Seema Sharma तन की नक्काशी कही धोखा ना दे दे मन से पुकारे की एक आवाज की जरुरत हैं साथ तेरे चलने से जले या ना जले दुनिया पर क़यामत तक चले की तेरे साथ की जरुरत हैं झुर्रियाँ बाल सफ़ेद सब उम्र के फरेब तन न भाया भाया मन दिल में दिखा न ऐब दिल-ए-जज़्बात को तेरे जज़्बात की जरूरत हैं ईट पत्थर से कोई घर न बना हैं पत्थर जड़ा के ताज में कोई सुन्दर न बना हैं अपनों की दुआ मिले तो घर भी बना ले दिल जीत लाए तो सुन्दर भी बना ले आशीर्वाद देता रहे उस हाथ की जरुरत हैं हैं नयी दुनिया पर दस्तूर पुरानी प्रेम सच्चा हो तभी चलती हैं कहानी मै दिल से बात करता तू भी दिल से बात कर न मै किसी से डरता न तू किसी से डर दुनिया नयी होगी पर बात पुरानी प्यार खरा हो तभी बढती हैं कहानी : शशिप्रकाश सैनी  //मेरा पहला काव्य संग्रह सामर्थ्य यहाँ Free ebook में उपलब्ध  Click Here //

चेहरों पे मल दो गुलाल

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होलिका जलाओ रातभर की हर गम धुआँ होजाए रंग इतना बरसे की रंगी ये समा होजाए निकाल दिल का मलाल चेहरों पे मल दो गुलाल रंग में रंगे हैं अनेक से फिर भी लगे हैं एक से मुह में गुजिया की मिठास हाथों में ठंडाई गिलास चेहरे पे गुलाल हाथों में गुलाल सारा रंग का कमाल यही हैं होली की धमाल : शशिप्रकाश सैनी